मानस मंथन
मेरी अनुभूति की सहज अभिव्यक्ति
बुधवार, 26 जून 2024
"यादों की अनुगूँज "पुस्तक पर चर्चा
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सोमवार, 1 अप्रैल 2024
Setu 🌉 सेतु: शशि पाधा कृत "मौन की आहटें"
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सोमवार, 3 जुलाई 2023
Setu 🌉 सेतु: कविता: क्या खोया, क्या पाया!
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गुरुवार, 28 जुलाई 2022
अग्निपथ पर अग्रसर अग्निवीर
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भारत एक विकास शील देश है। आज विश्व हर क्षेत्र
में भारत अपना महत्वपूर्ण स्थान बना चुका है। लेकिन विकास की ओर बढ़ते
हुए भी हमारे देश के लिए बहुत सी चुनौतियाँ हैं जिनमें अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, देश की बाह्य और
आन्तरिक सुरक्षा। इन सब चुनौतियों में मुख्य है देश को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना। आत्मनिर्भरता
के अपने उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए भारत सरकार विभिन्न योजनाओं को लागू कर रही
है।
14 जून, 2022 के दिन भारत के रक्षा मंत्रालय ने तीनों सेना प्रमुखों की उपस्थिति में
भारतीय सेना को और भी सशक्त और युवा बनाने के उद्देश्य से अग्निपथ योजना की घोषणा
की। इस योजना के अंतर्गत देश में 17 वर्ष से 21 वर्ष की आयु वाले नव युवकों और युवतियों को थल
सेना, वायुसेना
और नौसेना में सेवाएँ देने का अवसर प्रदान किया जायेगा। यह योजना आने वाले समय
में सशस्त्र बलों,राष्ट्र, व्यक्ति विशेष और आम समाज के लिये अत्यंत उपयोगी और भारतीय रक्षा प्रणाली
में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने में सहायक सिद्ध होगी।।भारत सरकार के रक्षा बजट का अधिकांश भाग सैन्य बल में सेवारत लोगों के
वेतन और उनकी पेंशन में खर्च हो रहा है। इस नई नीति के अनुसार पेंशन की औसतन दर घटेगी, सरकार के पास रक्षा
बजट की जो पूंजी बचेगी उससे सेना को और सशक्त करने के लिए अस्त्र-शास्त आदि के
निर्माण और आयात में उपयोग किया जाएगा। इससे पूरे विश्व में भारत की छवि एक आत्मनिर्भर/शक्तिशाली
देश जैसी होगी।
अगर हम विश्व के कुछ अन्य देशों का सैन्य अध्ययन
करें तो यह बात मुख्य रूप से सामने आती है कि अमरीका, इस्राइल और योरप के
बहुत से देशों में ऐसी ही या इससे मिलती -लती सैन्य प्रणाली देखने को मिलेगी। इन देशों में
चार से पाँच वर्ष तक सेना में एक्टिव सेवाएँ देने के बाद देश में रिज़र्व
सैनिक बल का भण्डार रहता है। देश में आई किसी भी आपातस्थिति में इन कुशल/ प्रशिक्षित
लोगों को फिर से अपने-अपने क्षेत्र में सेवाएँ देने के लिए तैनात किया जाता है। इस प्रकार इन
देशों में कभी भी घबराहट की स्थिति नहीं आती।
आइये अग्निपथ योजना का तार्किक अध्ययन करते हुए
इसके उद्देश्य और इससे होने वाले लाभ-हानि पर समीक्षात्मक दृष्टि डालें—-
·
सशस्त्र बलों के लिए बेहतर, प्रतिभा शाली, संकल्प निष्ठ, युवा और स्वस्थ लोगों
में से भी सर्वश्रेष्ठ युवाओं का चयन
· युवाओं में देशप्रेम, देश सेवा और पारस्परिक सौहार्द में रहने की भावना को जाग्रत करना।
· युवाओं को रोज़गार प्रदान करते हुए उन्हें अपना सफल भविष्य बनाने के लिए प्रेरित करना।
· सशक्त बलों में लगभग 3 साल से अधिक सेवाएँ देने के बाद इन युवाओं में अपने देश और समाज के प्रति सेवा भाव, फ़र्ज़ निभाने की उद्दात भावना, अपने कार्य के प्रति प्रतिबद्धता के भाव प्रतिपादित करना
· देश की राजसत्ता के दो प्रमुख तत्वों -सैनिक और असैनिक सत्ता के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी का निर्माण
· नागरिक समाज में सैन्य मूल्यों के साथ सशक्त, अनुशासित और कुशल युवाओं के माध्यम से राष्ट्र निर्माण।
· बदलती परिस्थितियों के अनुरूप ऊर्जावान, स्वस्थ, विविधतापूर्ण, अधिक प्रशिक्षित और सशक्त युवाओं की ऐसी रक्षित निधि जी देश में होने वाले किसी भी बाह्य अथवा आन्तरिक युद्ध के लिए हर प्रकार से तैयार रहेगी।
· एक सख्त एवं पारदर्शी चयन प्रक्रिया के कारण सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा का चयन।
· युवा और अनुभव के अधिकतम संतुलन के माध्यम से सैन्यबल की युवा छवि।
· तकनीकी संस्थानों में कुशल और योग्य युवाओं को कार्य करने का अवसर।
· सशस्त्र बलों में शामिल होने और राष्ट्र की सेवा करने के सपने को पूरा करने का युवाओं का सपना साकार।
· सभी क्षेत्रों की महिलाओं सहित युवाओं को समान अवसर प्रदान करना।
· सेवा निवृत युवाओं को १२वीं कक्षा के समकक्ष सर्टिफिकेट मिलेगा और जो भी उद्यमी युवा अन्य क्षेत्र में पढाई/कार्य करना चाहें तो उनके लिए अवसर प्रदान किये जायेंगे।
· देश की सुरक्षा से सम्बन्धित अन्य सैन्यबल जैसे CRPF, Border Security Force, Asam Rifles में पुनर्वास/योगदान देने के लिए पूरी तरह कुशल और योग्य युवा उपलब्ध रहेंगे।
रक्षा मंत्रालय द्वारा जैसे ही अग्निपथ
योजना की घोषणा की गई, कुछ भ्रांतियों और शंकाओं के कारण
पूरे देश में उथल-पुथल एवं राष्ट्रीय सम्पति को हानि पहुँचने का वातावरण बन गया। इसके
पीछे बहुत से असमाजिक तत्वों एवं निहित स्वार्थ रखने वाले लोगों का हाथ था। क्योंकि
योजना लागू करने से पहले इसके मुख्य उद्देश्यों को आम जनता के सामने स्पष्ट रूप से
प्रस्तुत करने के लिए प्रयत्न नहीं किया गया तो युवाओं
में शंका और असंतोष का वातावरण पैदा हो गया। ऐसा होना स्वभाविक भी था।
आशंका के कुछ मुख्य कारण थे–
1. उद्घोषणा
के अनुसार केवल 25 प्रतिशत युवा ही सैन्य बलों में सम्मिलित
किये जायेंगे, बाकी के 75 प्रतिशत
अग्निवीर पुन: रोज़गार की तलाश में भटकते फिरेंगे।
2. सैन्य बलों में भर्ती की आयु
घटाने से जो युवा कई वर्षों से इस क्षेत्र में भर्ती होने के लिए प्रशिक्षण ले रहे हैं, जिन्होंने
इसके लिए अपनी जमा पूंजी खर्च की है, उनके मार्ग में यह
योजना बाधा बन कर आयेगी।
3. चार वर्षों के बाद यह युवा अपने भविष्य और आजीविका के लिए फिर से संसाधनों की तलाश करेंगे।
अब समय है इन आशंकाओं के समाधान ढूँढने का। भारतीय सेना की एक प्रमुख शाखा पुनर्वास महानिदेशालय (Directorate General Resettlement) पहले से ही सेवा निवृत सैनिकों के पुनर्वास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। इसी निदेशालय में एक अन्य विशेष शाखा को स्थापित किये जाने की आवश्यकता है जहाँ अग्निवीर सीधे सम्पर्क करें और इस विभाग में उनके भविष्य के पुनर्वास की पूरी जिम्मेवारी ली जाये।। सरकार संचार माध्यमों के द्वारा आम जनता में यह विश्वास पैदा करे कि अग्निवीरों को चार वर्षों के बाद उनके चुने हुए क्षेत्र में सेवाएँ देने के लिए प्राथमिकता मिलेगी। भारत के प्रमुख उद्योग घराने/संस्थाएँ भी हर माध्यम से युवाओं को आश्वासन दिलाएँ कि हम इन प्रशिक्षित, कुशल और उद्यमी युवाओं का अपनी कम्पनियों में स्वागत करेंगे। अगर ये अग्निवीर उच्च शिक्षा के लिए आवेदन देना चाहें तो भी इनकी योग्यता के आधार पर इन्हें प्राथमिकता मिले।
किसी भी देश के विकास
और निर्माण में युवाओं की मुख्य भूमिका होती है। देश सेवा और देश प्रेम की उद्दात्त भावना से गर्वित हुए,
देश की उन्नति के पथ पर दौड़ते हुए ये अग्निवार भारत को विश्वशक्ति
बनाने में पूरी तरह से संकल्पनिष्ठ और सक्षम रहेंगे।
शशि पाधा
Email: shashipadha@gmail.com
पता: 10804,
Sunset Hills Rd,
Reston VA, USA, 20190
·
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रविवार, 1 मई 2022
उदंती.com: आलेखः पीछे छूटते मानवीय संवेदना के ऑर्गैनिक मूल्य
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उदंती.com: आलेखः पीछे छूटते मानवीय संवेदना के ऑर्गैनिक मूल्य
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विश्व श्रमिक दिवस पर विशेष
चलो गंवई अपने गाँव
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बाँध के अपना डोरा-डण्डा
चलो गंवई अपने गाँव ।
राम राज शहरों में होगा
सोच तुम्हें भी लाई होगी
परजा-राजा परम सुखी सब
तुझको आस बंधाई होगी
भूल भुलैयाँ राह भुलाएँ
थकते-हारे घायल पाँव ।
उलटी पुलटी खाली जेबें
रोटी, कपड़ा, ठौर नहीं
छिनी नौकरी, छिनी दिहाड़ी
ख़त्म कभी न दौड़ कहीं
साँस- आँख में मिट्टी-कंकर
कानों में बस काँव- काँव ।
माल मवेशी मोल दिए जो
बिन तेरे कुछ रोते होंगे
दादी को जो सौंप के आये
मिट्ठू रात न सोते होंगे
बाट जोहती बरगद छाँव ।
चमक दमक तो सोना नाहीं
राम कथा तो बाँची होगी
छले , लुभाये ढोंगी हिरणा
बात यहाँ भी साँची होगी
खालिस सोना गाँव की धरती
काहे भटके ठाँव -ठाँव ।
चलो गंवई अपने गाँव ।
शशि पाधा
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