जम्मू
के जंगम जोगी
महाशिवरात्रि
के पावन पर्व के अवसर पर --------
हर
धार्मिक एवं पारम्परिक पर्व के साथ मेरी अपने बचपन की मधुर स्मृतियाँ जुड़ी हुई हैं| आज पूरे भारत वर्ष
महाशिवरात्रि का पर्व बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है और मैं फिर से
लौट गई हूँ अपने जन्म स्थान जम्मू की गलियों और मंदिरों में| चलिए मेरे साथ आप भी
देखिये जम्मू की महाशिवरात्रि की शोभा ----
याद
है शिवरात्रि के कुछ दिन पहले ही जम्मू की गलियों, चौराहों में एक विशेष सम्प्रदाय के साधु
आना-जाना आरम्भ कर देते थे| इनकी वेशभूषा और भिक्षा
माँगने का ढंग भी विशेष ही होता था| हम इन्हें जंगम बाबा के नाम से जानते थे| यह सिर पर दशनामी पगड़ी
के साथ काली पट्टी पर तांबे-पीतल से बने गुलदान में मोर के पंखों का गुच्छ धारण
करते थे । कपड़े पर सामने की ओर सर्प निशान के अतिरिक्त कॉलर वाले कुर्ते पहने और
हाथ में खझड़ी, मजीरा, घंटियां लिए अन्य
साधुओं से अलग ही दिखाई देते थे| अनूठी अभिनय संवाद शैली में यह शिव- पार्वती
के विवाह की कहानी गायनशैली में इस तरह कहते थे कि सुनने वाला मंत्रमुग्ध हो जाता
था। हम बच्चे इनकी संगीतमय कथा को सुनते हुए हर गली-चौराहों में इनके साथ-साथ चलते
थे और इस रोचक अभिनय का आनन्द लेते थे| घर में जंगम की यात्रा को स्वयं भगवान शिव की
यात्रा के रूप में माना जाता था और जंगम को अच्छी भिक्षा दी जाती थी|जाते जाते जंगम जोगी हम
सब को आशीर्वाद देते थे|
शिवरात्रि
की सुबह- सुबह नहा धो कर मंदिरों में शिव दर्शन और पूजन का सिलसिला आरम्भ हो जाता
था| सब से पहले जम्मू शहर
के मध्य में स्थित श्री रणवीरेश्वर मंदिर में विशाल शिवलिंग के दर्शन होते थे और
उसके बाद मंदिर की परिक्रमा के परिसर में स्थापित 108 शिवलिंगों की पूजा अर्चना की जाती थी| उसके बाद लगभग 20-30 बड़ी-बड़ी
सीढ़ियाँ उतर कर मैदान में लगे मेले में मौज मस्ती करते थे| हम बच्चों को उस दिन
वहाँ से खूब से खिलौने उपहार के रूप में मिलते थे| साथ ही जलेबियाँ और अन्य प्रकार की मिठाइयाँ
भी दोने में बिकती थीं, जिन्हें हमारे
माता-पिता या बड़े भाई ख़रीद कर देते थे| उसे भगवान शिव का प्रसाद मान कर हम खुशी खुशी
से खाते थे| उसके बाद ‘ पीरखोह’ मंदिर की गुफ़ा में सिर
झुका के खड़े रह कर पूजा करने का एक अलग ही आनंद था ।
पूरा
दिन मंदिरों के दर्शन में बीत जाता था| आप जानते हैं न कि – ----जम्मू
को मंदिरों की नगरी कहा जाता है| हाँ! मैं उसी नगरी की लड़की हूँ| आप सब को महाशिवरात्रि
की मंगल कामनाएँ|
शशि
पाधा
* जंगम जोगियों की तस्वीर
गूगल से साभार
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