श्रद्धा सुमन ----- 15 अगस्त , 2018
शशि पाधा
भारत के महान नेता, संवेदनशील कवि, कलम के अपराजित योद्धा, युगपुरुष श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि -----
कारगिल युद्ध के समय सैनिकों के संकल्प, शौर्य और बलिदान की पराकाष्ठा से गर्वित हो कर मैंने उन दिनों कई रचनाएँ लिखीं| एक दिन भावावेश में मैंने तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री बाजपेयी जी को पत्र लिख कर युद्ध समाप्ति और शांति के लिए प्रार्थना की| साथ ही अपनी कुछ रचनाएँ संलग्न कर दीं | मुझे यह अनुमान कभी भी नहीं था कि उत्तर आएगा| किन्तु कुछ ही दिनों में उनका आशीर्वाद से परिपूर्ण पत्रोत्तर पाकर मैं गद्गद् हो गई| यह पत्र मेरे पास एक अमूल्य निधि के समान सुरक्षित है |
आज मैं व्यथित ह्रदय से यह पत्र बड़े गर्व के साथ आप सब के साथ साझा कर रही हूँ |
आज मैं व्यथित ह्रदय से यह पत्र बड़े गर्व के साथ आप सब के साथ साझा कर रही हूँ |
लगभग दो वर्ष के बाद ही मुझे पुन: उनसे मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ|
राष्ट्रपति भवन के'अशोक सभागृह' में सैनिकों के लिए अलंकरण समारोह का आयोजन था| वहाँ मैं अपने पति के साथ गई थी| जलपान के समय मैं उनके पास जा कर बैठ गई | कविताओं के विषय पर चर्चा करते हुए एक बार फिर मेरी भेंट की गई पुस्तक' पहली किरन' और मेरी रचनाओं की बात हुई | बड़े स्नेह से उन्होंने कहा, " हाँ मुझे सब याद है, बस यही कहूँगा कि लिखती रहिए और अपने साहित्य और भाषा को समृद्ध कीजिए|"
राष्ट्रपति भवन के'अशोक सभागृह' में सैनिकों के लिए अलंकरण समारोह का आयोजन था| वहाँ मैं अपने पति के साथ गई थी| जलपान के समय मैं उनके पास जा कर बैठ गई | कविताओं के विषय पर चर्चा करते हुए एक बार फिर मेरी भेंट की गई पुस्तक' पहली किरन' और मेरी रचनाओं की बात हुई | बड़े स्नेह से उन्होंने कहा, " हाँ मुझे सब याद है, बस यही कहूँगा कि लिखती रहिए और अपने साहित्य और भाषा को समृद्ध कीजिए|"
आज वो हमारे बीच नहीं हैं किन्तु उनके यह शब्द मुझे सदैव प्रेरित करते रहेंगे | शत शत नमन
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