भारतीय सैन्य इतिहास का सब से महत्वपूर्ण युद्ध --सारागढ़ी किले की लड़ाई
अन्तिम साँस - अन्तिम गोली - अन्तिम सैनिक ——-ज़रा याद रहे क़ुर्बानी .
12 सितम्बर,1894 के दिन हुई सारागढ़ी की लड़ाई को सैन्य इतिहास की सबसे महान लड़ाइयों में से एक जाना जाता है | यह युद्ध में इसमें बिर्टिश फ़ौज में तैनात 36 सिक्ख रेजिमेंट के 21 सिख बहादुर सैनिकों ने छह घंटे से अधिक समय तक 10000 से भी ज़्यादा उग्र अफ्गानों के खिलाफ लड़ते हुए किले को बंद रखा और अंत में इस किले की रक्षा में सभी सैनिक शहीद हो गये | उस समय की 36 सिख रेजिमेंट आज भारतीय सेना की 4 सिख रेजिमेंट के नाम से जानी जाती है |सारगढ़ी का युद्ध जिस तरह से लड़ा गया था वो सब को हैरान कर देगा, क्योंकि
इन 21 बहादुर सैनिकों ने 10000 से ज्यादा अफ्गानों का जिस तरह सामना किया वो सैनिकों की वीरता के इतिहास में सब से महत्वपूर्ण उदाहरण है |
जब महारानी विक्टोरिया को इसकी ख़बर मिली तो उन्होंने सभी 21 सैनिकों को इंडियन ऑर्डर ऑफ़ मैरिट देने का ऐलान किया.ये उस समय तक भारतियों को मिलने वाला सबसे बड़ा वीरता पदक था जो तब के विक्टोरिया क्रॉस और आज के परमवीर चक्र के बराबर था.
सिख सैन्य कर्मियों द्वारा इस युद्ध की याद में 12 सितम्बर को सारगढ़ी दिवस के रूप में मनाते हैं।
सारागढ़ी युद्ध में शहीद होने वाले सिखों की याद में तीन गुरुद्वारों का निर्माण करवाया गया जिनमें से एक सारागढ़ी की युद्ध वाली जगह पर स्थित है और दूसरा फिरोजपुर और तीसरा अमृतसर बनाया गया है।
मुझे आप सब को बताते हुए गर्व हो रहा है कि मेरे पति जनरल केशव पाधा को फिरोजपुर में इस बहादुर 4 सिख रेजिमेंट के साथ कार्य करने का अवसर मिला| फिरोजपुर छावनी में स्थित सारागढ़ी गुरद्वारे के प्रांगन में एक विशाल स्मारक बना हुआ है जिस पर उन परमवीर सैनिकों के नाम लिखे गये हैं | हर वर्ष 12 सितम्बर को वहाँ पर उन शहीदों की याद में एक आयोजन होता है और स्मारक पर पुष्पमालाएँ अर्पित की जाती हैं |
उस ऐतिहासिक स्मारक की तस्वीर आपके साथ साझा कर रही हूँ |
* हिन्दी फिल्म 'केसरी' रोंगटे खड़े करने वाली इसी लड़ाई की याद में बनी है l
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