सोमवार, 3 जुलाई 2023

Setu 🌉 सेतु: कविता: क्या खोया, क्या पाया!

Setu 🌉 सेतु: कविता: क्या खोया, क्या पाया!: शशि पाधा मन की गठरी बाँध के रखी यादें शहरों गाँव की  मिटटी की सौंधी खुशबू की, बरगद की ठंडी छाँव की  चौपालों पे हँसी ठिठौली, भरी पिटारी खु...