मानस मंथन
मेरी अनुभूति की सहज अभिव्यक्ति
सोमवार, 3 जुलाई 2017
कितना शौक है इन्हें
दादी का चश्मा पहनें
पर कभी नाक छोटी
और कभी कान
और यह चश्मा है कि
यह गिरा आ आ आआआ
वो गिरा आआअह्हह्हह
अब कोई बताए
क्यों बनाते हैं लोग
बड़े चश्मे
हमें सताने को ?
थोड़ा रुलाने को ?
या ----
दादी को
हंसाने को ??????
शशि पाधा
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