कैसे घोलूँ रंग
सुनियो रे रंगरेज
सिखा दो कैसे घोलूँ रंग
बता दो कैसे घोलूँ रंग |
एक रंग अम्बर का घोलूँ
चुनरी नील रंगाऊँ
दूजा मैं किरणों का घोलूँ
मेहंदी हाथ रचाऊँ
तीजा रंग संध्या का घोलूँ
अंजन नैन लगाऊँ
बिजुरी बिंदिया माथे सोहे
जूही चम्पा अंग
बताना कैसे हैं यह रंग |
चौथे रंग में घुली चाँदनी
पायलिया गढ़वाऊँ
पाँच रंग का पहनूँ लहंगा
लहरों सी लहराऊँ
छटा रंग केसर का घोलूँ
खुश्बू में मिल जाऊँ|
हरी दूब सी पहनूँ चूड़ी
खनके
प्रीत उमंग
बोल रे कैसे घोलूँ
रंग |
रंग सातवाँ ओ रंगरेजा
तू ही आके घोल
तेरी डलिया में वो पुड़िया
मैं क्या जानूँ मोल
बस इतना ही जानूँ मैं तो
प्रेम रंग अनमोल |
रंग वही बरसाना प्रियतम
भीगूँ तेरे संग |
सुनियो कैसा प्रीत का रंग !!!!!!!
शशि पाधा
मन मु्ग्ध हो गया - भाव की रमणीयता और भाषा का सहज माधुर्य कैसी तन्मयता ,अति सुन्दर !
जवाब देंहटाएंSunder!
जवाब देंहटाएंIla
ahhaa......i jus love it :)
जवाब देंहटाएंsundar geet hai aapne rngo ka indrdhanush banaya hai badhai ,geeto ko aawz dena chahiye mere geet youtube or blog kai saath saath facebook se bhi sun sakte hai suniyega
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