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पीपल की वो डार |
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यादों में है आज तक, पीपल की वो डार
सावन में झूले पड़े, झूली कितनी बार।
जो भी बैठे छाँव में, पीपल दे
आशीष ममता से ये डालियाँ, सहलाएँ हर शीश।
अनगिन कथा कहानियाँ, अनगिन सावन
गीत अनगिन दुखड़े विरह के, जाने पीपल मीत। मौसम तो आए गए, पीपल खड़ा
विशाल जन मानस आ पूजता, झुका मान में भाल।
डार झुलाए झूलना, पंछी का सुख
नीड़ थके तपे हर जीव की, पीपल जाने पीर।
पूजो पीपल देव सम,कहते वेद
पुराण चिरायु मोद निरोग का,पीपल दे वरदान।
पीपल तरुवर ढूँढते, नैना थके विदेस कौन
मेरे भैया को, देवे यह संदेस। -शशि पाधा २६ मई
२०१४
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