खिला कनेर ----हाइकु
शशि पाधा
1
दूर विदेस
ना गाँव ना गालियाँ
खिला कनेर |
2
किसने बाँधी
हवा की चुनरी में
मौलश्री गंध |
3
सूरज डूबा
भोर खोले किवाड़
अपने देस |
4.
बंद हथेली
रात भर छिपाया
पूनो का चाँद |
5
चन्दा कलश
छलकाए चाँदनी
धरा सरस |
6
जुगनू जलें
अंधेरी अमावस
सपने पलें |
7
यादों की ओस
मन की हरी दूब
छुए, सिहरे |
शशि पाधा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें