http://trivenni.blogspot.in/ 2014/08/blog-post.html -- इस लिंक पर प्रस्तुत हैं मेरे रचे "माहिया "
माहिया ----शशि पाधा
यह प्यार अनोखा है
मन जब हीर हुआ
कब,किसने रोका है|
राँझा क्या गाता है
गीतों के सुर में
मन पीर सुनाता है |
सागर जल खारा है
किरणों से पूछो
उनको तो प्यारा है |
लो बदरा बरस गए
धरती प्यासी थी
चुप आके सरस गए |
यह भाषा कौन पढ़े
नैना कह देते
अधरों पे मौन धरे |
यह चुप ना रहती है
साँसें बोलें ना
धड़कन सब कहती है |
कैसी मनुहार हुई
कल तक रूठे थे
अब मन की हार हुई |
मन पंछी उड़ता है
सपने पंख बने
रोके न रुकता है |
दोनों ने ठानी है
राधा कह दे जो
मीरा ने मानी है |
बिन पूछे जग जाने
प्रेम किया जिसने
वो रब को पहचाने
शशि पाधा
माहिया ----शशि पाधा
यह प्यार अनोखा है
मन जब हीर हुआ
कब,किसने रोका है|
राँझा क्या गाता है
गीतों के सुर में
मन पीर सुनाता है |
सागर जल खारा है
किरणों से पूछो
उनको तो प्यारा है |
लो बदरा बरस गए
धरती प्यासी थी
चुप आके सरस गए |
यह भाषा कौन पढ़े
नैना कह देते
अधरों पे मौन धरे |
यह चुप ना रहती है
साँसें बोलें ना
धड़कन सब कहती है |
कैसी मनुहार हुई
कल तक रूठे थे
अब मन की हार हुई |
मन पंछी उड़ता है
सपने पंख बने
रोके न रुकता है |
दोनों ने ठानी है
राधा कह दे जो
मीरा ने मानी है |
बिन पूछे जग जाने
प्रेम किया जिसने
वो रब को पहचाने
शशि पाधा
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