बुधवार, 24 अगस्त 2016

मित्रों, कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर प्रस्तुत है एक रचना -----

        बंसी भाग भरी

कन्हैया तोरी बंसी भाग भरी
 निसिदिन तेरे सँग जिये वो
 जब से अधर धरी ।

वृन्दावन की कुंज गलिन में
गोपिन रास रचाई
सात सुरों में गूँजे बंसी
 झूमें कृष्ण कन्हाई

 देखे रीझे मैया यशोदा
 नयनन नेह झरी  ।

छू के बंसी राधे बोली
तू किसना अति प्यारी
श्वास- श्वास में तेरो बसते
मैं तुझसे ही हारी

किस डोरी से बाँधे तूने
पूछत पहर- घरी


राधे-राधे गाए बंसी
कान्हा हिय हरषाय
मेरे मन की बूझी तूने
पुनि पुनि गीत सुनाय

तेरे सुर की राग -रागिनी
 बाँधे प्रीत -लड़ी

कन्हैया तोरी बंसी भाग भरी ।

शशि पाधा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें