मित्रों, कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर प्रस्तुत है एक रचना -----
बंसी भाग भरी
बंसी भाग भरी
कन्हैया तोरी बंसी
भाग भरी
निसिदिन तेरे सँग जिये वो
जब से अधर धरी ।
वृन्दावन की कुंज
गलिन में
गोपिन रास रचाई
सात सुरों में
गूँजे बंसी
झूमें कृष्ण कन्हाई
देखे रीझे मैया यशोदा
नयनन नेह झरी
।
छू के बंसी राधे
बोली
तू किसना अति
प्यारी
श्वास- श्वास में
तेरो बसते
मैं तुझसे ही हारी
किस डोरी से बाँधे
तूने
पूछत पहर- घरी
राधे-राधे गाए बंसी
कान्हा हिय हरषाय
मेरे मन की बूझी
तूने
पुनि पुनि गीत
सुनाय
तेरे सुर की राग
-रागिनी
बाँधे प्रीत -लड़ी
कन्हैया तोरी बंसी
भाग भरी ।
शशि पाधा
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