सृजन
जब रिमझिम हो बरसात
और भीगें डाल औ पात
जब तितली रंग ले अंग
और फूल खिलें सतरंग
जब कण –कण महके प्रीत
तब शब्द रचेंगे गीत |
जब नभ पे हँसता चाँद
ओंर तारे भरते माँग
जब पवन चले पुरवाई
हर दिशा सजे अरुणाई
जब मन छेड़े संगीत
तब शब्द लिखेंगे गीत
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जब पंछी करें किलोल
और लहरों में हिलोल
जब धरती अम्बर झूमें
और भँवरे कलिका
चूमें
जब बंधन की हो रीत
तब शब्द बुनेंगे गीत |
जब कोकिल मिश्री
घोले
पपिहारा पिहु-पिहु
बोले
वासन्ती पाहुन आए
नयनों से नेह बरसाए
जब संग चले मनमीत
तब शब्द बनेंगे गीत |
शशि पाधा
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, नारी शक्ति - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंआपका बहुत धन्यवाद |
हटाएंबहुत सुन्दर ,मन को छूते शब्द ,शुभकामनायें और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
जवाब देंहटाएंमदन मोहन जी, आपका हार्दिक धन्यवाद |
हटाएंमदन मोहन जी, आपका हार्दिक धन्यवाद |
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